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    Biography of gopaldas niraj tannar college...

    गरीबी इतनी कि नदी से सिक्के चुने, बीड़ी-पान भी बेचा, आखिर में बन गया सबसे बड़ा हिंदी का शायर और उर्दू का कवि

    'लिखे जो खत तुझे - वो तेरी याद में ...', 'शोखियों में घोला जाये फूलों का शबाब - उसमें फिर मिलाई जाए थोड़ी सी शराब', रंगीला रे, तेरे रंग में - यूं रंगा है मेरा मन', ए भाई जरा देख के चलो - आगे ही नहीं पीछे भी.

    जैसे गीत लिखने वाले गोपालदास नीरज उन चंद कवियों में शुमार किए जाते हैं जिनपर भाषाएं नाज़ करती हैं, जिनकी रचनाएं ऐसी होती हैं कि फर्क नहीं पड़ता कौन सी जनरेशन पढ़ रही है, उनकी रचनाएं वक्त के साथ-साथ हकीकत का लिबादा ओढ़ती चली जाती हैं. गोपाल दास नीरज उसी नस्ल के कवियों और शायरों में गिने जाते हैं. 4 जनवरी 1925 को इटावा जन्म लेने वाले नीरज बहुमुखी प्रतिभा के कवि थे.

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    मंचों से लेकर फिल्मों तक उनके कलम का जिक्र किया जाता है.

    महज़ 6 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने पिता को खो दिया था. उनका घर बेहद बुरे आर्थिक हालात से गुजर रहा था. उन्होंने इन दिनों में नदी में गोते लगाकर सिक्के जमा किए, बीड़ी और पान बेचा, यहां तक कि रिक्शा भी चलाया. एक जानकारी के मुताबिक नीरज लगभग 10 वर्षों तक द